प्रश्नोत्तर | रेल यात्रा| लेखकः शरद जोशी| कक्षा 9 | पाठ- 9 |  बिहार बोर्ड | BSEB | हिंदी


भीड़भाड़ वाले भारतीय रेलवे स्टेशन पर यात्री ट्रेन में चढ़ने के लिए संघर्ष करते हुए, एक आदमी गोद में रोते हुए बच्चे के साथ बैठा है – शरद जोशी की व्यंग्य रचना 'रेल यात्रा' पर आधारित चित्र।
‘रेल यात्रा’ अध्याय पर आधारित यह चित्र भारतीय रेल की भीड़, अव्यवस्था और यात्रियों की परेशानियों को व्यंग्यात्मक रूप में दर्शाता है।

रेल यात्रा सारांश :

यह अध्याय लेखक शरद जोशी द्वारा लिखित एक व्यंग्यात्मक रचना है जिसमें उन्होंने रेल यात्रा के अपने अनुभवों को बहुत ही रोचक और हास्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है। लेखक ने बताया है कि कैसे रेलवे स्टेशन पर टिकट लेना, ट्रेन में चढ़ना, सीट पाना और अन्य यात्रियों के साथ सफर करना एक आम आदमी के लिए एक बड़ा रोमांचक और कभी-कभी परेशान करने वाला अनुभव होता है।

लेखक स्टेशन पर टिकट लेने की जद्दोजहद, भीड़-भाड़, सीट के लिए मारामारी और यात्रियों के विचित्र व्यवहार को मजाकिया अंदाज़ में प्रस्तुत करते हैं। वह कहते हैं कि ट्रेन में सफर करना केवल एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना नहीं है, बल्कि यह एक विशेष अनुभव होता है जो लोगों की भावनाओं, उम्मीदों, गुस्से और धैर्य की परीक्षा लेता है।

इस यात्रा में लेखक को तरह-तरह के लोग मिलते हैं – कोई गुस्सैल होता है, कोई समझदार, कोई चुपचाप बैठा होता है तो कोई ज्यादा बातें करने वाला। वह यह भी बताते हैं कि ट्रेन में सीट बचाकर रखना और अपने अधिकारों की रक्षा करना कितना मुश्किल काम होता है।

मुख्य बिंदु:

  1. यह एक हास्य-व्यंग्यपूर्ण रचना है।
  2. रेल यात्रा के दौरान आम आदमी को आने वाली कठिनाइयों को दर्शाया गया है।
  3. लेखक ने बहुत ही रोचक ढंग से यात्रियों की मनोवृत्ति और व्यवहार को प्रस्तुत किया है।
  4. ट्रेन में सीट के लिए संघर्ष और भीड़ के दृश्य को मजाकिया अंदाज़ में बताया गया है।
  5. यह रचना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि रेल यात्रा केवल साधन नहीं, बल्कि एक समाज की झलक भी है।

निष्कर्ष:
रेल यात्रा’ पाठ में शरद जोशी ने आम आदमी की रेल यात्रा को व्यंग्य और हास्य के माध्यम से इस तरह पेश किया है कि पाठक हँसते-हँसते यात्रा की सच्चाई को महसूस करता है। यह रचना न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि भारतीय रेल व्यवस्था और समाज की स्थिति पर भी सवाल उठाती है।


प्रश्न-उत्तर – रेल यात्रा | पाठ के साथ

1. मनुष्य की प्रगति और भारतीय रेल की प्रगति में लेखक क्या देखता है?

उत्तर: लेखक के अनुसार, मनुष्य भले ही चाँद पर पहुँच गया हो, लेकिन भारतीय रेल आज भी वहीं की वहीं है। वह कहता है कि रेलों की दुर्दशा पहले भी थी और अब भी है। यानी, लेखक को मनुष्य की प्रगति और रेल की प्रगति में असंतुलन दिखाई देता है।

2. “आप रेल की प्रगति देखना चाहते हैं तो किसी डिब्बे में घुस जाइए” – लेखक यह कहकर क्या दिखाना चाहता है?

उत्तर: लेखक यह दिखाना चाहता है कि रेल की असली स्थिति जानने के लिए आपको उसका अनुभव खुद करना होगा। टिकट, भीड़, अव्यवस्था – सब देखने के बाद समझ में आता है कि रेल की प्रगति के दावे केवल कहने भर के हैं।

3. भारतीय रेलें हमें किस तरह का जीवन जीना सिखाती हैं?

उत्तर: भारतीय रेलें हमें सहनशीलता, धैर्य, सहअस्तित्व, सामंजस्य और भीड़ में जीना सिखाती हैं। वे सिखाती हैं कि जीवन में संघर्ष के बीच भी मुस्कुराना जरूरी है।

4. ‘ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें।’ – इस कथन से लेखक पाठकों को भारतीय रेल की किस अव्यवस्था से परिचित कराना चाहता है?

उत्तर: यह कथन इस ओर संकेत करता है कि भारतीय रेल में यात्रा करना इतना कठिन और अव्यवस्थित हो गया है कि यात्री को यात्रा के लिए भगवान का सहारा लेना पड़ता है।

5. “जिसकी लाठी उसकी भैंस…” – इस पर अपने विचार संक्षेप में व्यक्त कीजिए।

उत्तर: इस पंक्ति से लेखक यह दिखाते हैं कि भारतीय समाज में ताकतवर व्यक्ति को ही प्राथमिकता मिलती है। रेल में भी वही यात्रा कर पाता है जो बल, साहस या जुगाड़ वाला हो। ईमानदार और शरीफ लोग वेटिंग लिस्ट में ही रह जाते हैं।

6. व्यंग्य स्पष्ट कीजिए –

(क) दुर्दशा तब भी थी, दुर्दशा आज भी है…’
➡ यह दिखाता है कि टेक्नोलॉजी आने के बावजूद रेल की स्थिति नहीं बदली। यह प्रगति का मजाक है।

(ख) भारतीय रेलें हमें सहिष्णु बनाती हैं…’
➡ यहां लेखक तंज कसते हैं कि मजबूरी में सहना हमारी आदत बन गई है। यह प्रगति नहीं, विवशता है।

(ग) भारतीय रेलें हमें मृत्यु का दर्शन समझाती हैं…’
➡ यह रेल हादसों पर व्यंग्य है – कैसे दुर्घटनाएं आम हो गई हैं।

(घ) भारतीय मनुष्य रेल से आगे है…’
➡ लेखक बताता है कि मनुष्य तो तेज हो गया है, लेकिन रेल पीछे रह गई है – यानी सिस्टम पिछड़ा हुआ है।

7. रेल यात्रा के दौरान किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है?

उत्तर: भीड़भाड़, टिकट न मिलना, सीट की मारामारी, समय की अनिश्चितता, गंदगी, शोरगुल, दुर्घटनाओं का डर आदि समस्याएं सामने आती हैं।

8. लेखक भारतीय रेल की कौन-कौन सी अव्यवस्थाओं का वर्णन करता है?

उत्तर:

  • टिकट न मिलने की समस्या
  • स्टेशन की अव्यवस्था
  • गंदगी
  • सीट के लिए झगड़ा
  • ट्रेन का देर से आना
  • सुरक्षा की कमी
  • वेटिंग लिस्ट की मार

9. “रेलें हमेशा प्रगति करती हैं।” – लेखक इस व्यंग्य से क्या दिखाना चाहता है?

उत्तर: यह व्यंग्य राजनेताओं की खोखली बातों पर है। वे कहते हैं कि रेलें प्रगति कर रही हैं, जबकि वास्तव में रेल की हालत पहले से भी खराब हो रही है।

10. पाठ से व्यंग्य के स्थल और उनके आशय:

उदाहरण:

  • “टिकट खिड़की पर खड़े रहना तपस्या है।”
    ➡ टिकट पाने की मुश्किल को व्यंग्य में दिखाया है।
  • ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे।”
    ➡ यात्रा करना युद्ध जितना कठिन दिखाया गया है।
  • “रेलें मृत्यु का दर्शन कराती हैं।”
    ➡ रेल दुर्घटनाओं पर व्यंग्य।

11. व्यंग्य की दोहरी धार के उदाहरण:

उत्तर: लेखक ने एक ओर रेल विभाग की अव्यवस्थाओं पर व्यंग्य किया है, तो दूसरी ओर आम जनता की सहनशीलता, चुप्पी और जुगाड़ संस्कृति पर भी तंज किया है।
उदाहरण:

  • “टिकट खिड़की पर खड़ा व्यक्ति देवता होता है।” – जनता की विवशता पर तंज।
  • “जिसके पास बल है, वही यात्रा कर पाता है।” – समाज की कड़वी सच्चाई।

12. भारतीय रेलें चिंतन के विकास में कैसे सहायक हैं?

उत्तर: रेल की देरी, अव्यवस्था और यात्रा की लंबी अवधि में व्यक्ति को बहुत सोचने का समय मिलता है। लेखक मजाक में कहता है कि रेल में बैठे-बैठे मनुष्य चिंतनशील बन जाता है।

13. टिकट को लेखक ने ‘देह धरे को दंड’ क्यों कहा है?

उत्तर: क्योंकि टिकट लेने के लिए व्यक्ति को लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता है, भीड़ में धक्के खाने पड़ते हैं – यह शरीर पर अत्याचार जैसा लगता है।

14. रेलें मनुष्य को मनुष्य के करीब कैसे लाती हैं?

उत्तर: रेल में सबको पास-पास बैठना पड़ता है। अनजान लोग भी साथ सफर करते हैं, बात करते हैं, दुख-सुख साझा करते हैं – इससे आपसी नजदीकी बढ़ती है।

15. “जब तक एक्सीडेंट न हो हमें जागते रहना है” – लेखक ऐसा क्यों कहता है?

उत्तर: लेखक यह दिखाना चाहता है कि रेलवे विभाग तब तक जागता नहीं जब तक कोई दुर्घटना न हो जाए। यह प्रशासन की लापरवाही पर व्यंग्य है।


पाठ के आस-पास :-

1. अपना रेल यात्रा अनुभव (स्वयं के शब्दों में):

उत्तर:
एक बार मैं परिवार के साथ छुट्टियों में अपने गाँव जा रहा था। हमें टिकट तो मिल गया था, लेकिन ट्रेन बहुत भीड़भाड़ वाली थी। स्टेशन पर चढ़ने के लिए जोर लगाना पड़ा। हमारी सीट पर पहले से कुछ लोग बैठे थे, जिन्हें हटाना भी मुश्किल हो रहा था। डिब्बे में बहुत शोर था, गर्मी और गंदगी की वजह से यात्रा और भी कठिन लग रही थी। फिर भी, जैसे-तैसे यात्रा पूरी हुई। यह अनुभव मुझे ‘रेल यात्रा’ पाठ की याद दिला देता है।

2. लेखक का व्यंग्य कितना प्रभावी लगा और क्यों?

उत्तर:
लेखक का व्यंग्य बहुत प्रभावशाली है क्योंकि यह हँसते-हँसते सच्चाई को सामने लाता है। रेल की अव्यवस्था, टिकट की परेशानी, सीट की मारामारी – सबको लेखक ने व्यंग्यात्मक और मजेदार भाषा में पेश किया है। इससे पाठक मनोरंजन भी करता है और सोचने पर भी मजबूर होता है।

3. होशंगाबाद कहाँ है? लेखक उसका ज़िक्र क्यों करता है?

उत्तर:
होशंगाबाद मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक शहर है। लेखक इसका जिक्र इसलिए करता है क्योंकि वह रेल यात्रा के दौरान होशंगाबाद के रास्ते से गुजरते हैं और वहाँ की स्थिति को देखकर एक खास अनुभव का वर्णन करते हैं। यह जगह रेल यात्रा के संदर्भ में उनके लेखन का हिस्सा बनती है।

4. बिहार के मानचित्र में सभी रेलमार्गों को चिह्नित करें:

उत्तर:
यह उत्तर एक चित्रात्मक कार्य है जिसमें आपको बिहार राज्य के नक्शे पर निम्न प्रमुख रेलवे रूट्स को चिह्नित करना होगा:

मुख्य रेलमार्ग:

  • पाटलिपुत्र – गया – धनबाद मार्ग
  • पटना – मुजफ्फरपुर – समस्तीपुर – दरभंगा मार्ग
  • बक्सर – आरा – पटना – बख्तियारपुर – कीरन मार्ग
  • सासाराम – डेहरी – गया मार्ग
  • कटिहार – सहरसा – सुपौल मार्ग
  • भागलपुर – जमालपुर – मुंगेर मार्ग
  • पूर्णिया – किशनगंज मार्ग

भाषा की बात:-

1. निम्नलिखित शब्दों से विदेशज शब्द छाँटिए –

विदेशज शब्द:

  • सीट
  • स्टेशन
  • बर्थ
  • लोकल
  • स्टार्ट
  • फौरन
  • थुक्का फजीहत

स्पष्टीकरण: ये सभी शब्द हिंदी में प्रचलित होने के बावजूद अपनी उत्पत्ति से अंग्रेज़ी या अन्य विदेशी भाषाओं से आए हैं, इसलिए ये विदेशज शब्द कहलाते हैं।

2. वाक्यों में अव्यय को रेखांकित करें –

(अ) अरे जिसे जाना है, वह तो जाएगा।
(ब) सारी रेलों को अंततः ऊपर जाना है।
(स) उधर प्लेटफॉर्म पर यात्री खड़े इसका इंतजार कर रहे हैं।
(द) जो संयमी होते हैं, वे रातभर जागते हैं।
(च) मगर क्या करें?
(छ) इसलिए असली यात्री वो, जो हो खाली हाथ।

अव्यय शब्द वे होते हैं जो रूप नहीं बदलते और क्रिया, विशेषण या संबंध को स्पष्ट करते हैं।


3. निम्नलिखित शब्दों का विग्रह करें एवं समास बताएँ –

शब्दविग्रहसमास का नाम
रेलयात्रारेल + यात्रातत्पुरुष समास
रेल विभागरेल + विभागतत्पुरुष समास
अनंतअन् + अन्त (नहीं + अंत)उपसर्गात्मक (अव्ययीभाव)
अनचाहाअन् + चाहा (नहीं + चाहा)उपसर्गात्मक
अनजानाअन् + जाना (नहीं + जाना)उपसर्गात्मक

4. तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए –

तद्भव शब्दतत्सम रूप
पुरानाप्राचीन
गाँवग्राम
हाथहस्त
कामकर्म
हल्दीहरिद्रा

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