
पाठ – अष्टावक्र (लेखक – विष्णु प्रभाकर)
अष्टावक्र – सारांश :–
यह पाठ एक महान विद्वान और आत्मबल से परिपूर्ण ऋषि अष्टावक्र की कहानी है। अष्टावक्र बचपन से ही बेहद तेजस्वी और ज्ञानी थे, लेकिन उनका शरीर आठ जगह से टेढ़ा-मेढ़ा (विकृत) था, इसलिए उन्हें ‘अष्टावक्र’ कहा गया।
एक बार उनके पिता को राजा जनक के दरबार में शास्त्रार्थ में हारने के कारण जल में डूब कर मृत्यु की सजा मिली थी। तब अष्टावक्र ने यह निश्चय किया कि वह स्वयं राजा जनक के दरबार में जाकर अपने पिता का अपमान चुकाएगा। जब अष्टावक्र राजा जनक के दरबार में पहुंचे, वहाँ उपस्थित दरबारियों ने उनके शरीर की विकृति देखकर उनका मजाक उड़ाया। इस पर अष्टावक्र ने उन्हें ‘चर्मदृष्टा’ कहा, यानी जो केवल शरीर को देखकर किसी की योग्यता तय करते हैं। उन्होंने यह बताया कि असली मूल्य व्यक्ति के ज्ञान, विचार और आत्मा से होता है, न कि शरीर से।राजा जनक ने अष्टावक्र की बातों में गहराई देखी और उनसे शास्त्रार्थ किया। अष्टावक्र ने तर्क और ज्ञान से सभी को पराजित कर दिया और यह सिद्ध कर दिया कि वास्तविक ज्ञान शरीर से नहीं, बल्कि आत्मा से होता है।
मुख्य संदेशः
- बाहरी रूप से किसी को भी नहीं आंकना चाहिए। बाहरी रूप से
- ज्ञान और आत्मबल ही व्यक्ति की असली पहचान होते हैं।
- आत्मविश्वास, तर्क और सच्चाई के बल पर कोई भी अपनी पहचान बना सकता है।
अष्टावक्र | लेखकः विष्णु प्रभाकर | कक्षा 9 | पाठ- 6 | बिहार बोर्ड |
पाठ के साथ :
- इस रेखाचित्र के प्रधान पात्र को लेखक ने अष्टावक्र क्यों कहा है ?
:- लेखक ने प्रधान पात्र को ‘अष्टावक्र’ इसलिए कहा है क्योंकि उसका शरीर आठ स्थानों से टेढा-मेढ़ा और विकृत था, जैसे पौराणिक ऋषि अष्टावक्र का था। - कोठरियों कहाँ बनी हुई थी ?
:- कोठरियों शहर के एक कोने में, रेल की पटरी के पास बनी हुई थीं। - अष्टावक्र कहाँ रहता था ?
:- अष्टावक्र अपनी माँ के साथ एक कोठरी में रहता था जो झुग्गी-झोपड़ी जैसी थी। - अष्टावक्र के पिता कब चल बसे थे ?
:- अष्टावक्र के पिता उसके जन्म से पहले ही चल बसे थे। - चिड़चिड़ापन अष्टावक्र की माँ का चिरसंगी क्यों बन गया था ?
:- गरीबी, अकेलापन, और अष्टावक्र की विकलांगता की पीड़ा ने उसे मानसिक रूप से परेशान कर दिया था, इसलिए चिडचिड़ापन उसकी आदत बन गया था। - अष्टावक्र क्याक्या बेचा करता था ?
:- अष्टावक्र सड़क पर कुल्फी, चने, मूँगफली जैसी चीजें बेचा करता था। - चार की संख्या अष्टावक्र के स्मृति पटल पर पत्थर की रेखा की तरह अंकित क्यों हो गई थी ?
:- एक दिन एक कुलफीवाले ने चार कुलफियाँ खाने के बाद अष्टावक्र को पैसा नहीं दिया और उसे धक्का देकर गिरा दिया। इस अपमान की चोट अष्टावक्र के मन में गहराई से अंकित हो गई। - माँ माथा क्यों ठोका करती थी ?
:- मॉ अक्सर अपनी गरीबी और बेटे की विकलांगता पर दुखी होकर माथा ठोकती थी। - गर्मी के दिनों में माँ-बेटे कहाँ सोया करते थे ?
:- गर्मी के दिनों में वे दोनों अपनी कोठरी के बाहर खुले में सोया करते थे। - अष्टावक्र हाय माँ’ कहकर वहीं क्यों लुढ़क गया ?
:- जब अष्टावक्र ने माँ को मृत पाया, तो वह दुख और सदमे से चिल्लाकर ‘हाय माँ कहकर वहीं गिर पड़ा। - माँ के शुष्क नयन सजल क्यों हो उठे ?
:- मृत्यु से पहले अष्टावक्र की चिंता और प्रेम देखकर माँ की सूखी आँखों में आँसू आ गए। - अष्टावक्र विमूढ़ सा क्यों बैठा रहा ?
:- माँ की मृत्यु के बाद वह शोक और सदमे से जड़वत हो गया, इसलिए विमूढ़ होकर बैठा रहा। - . कुलफीवाले ने ईश्वर को धन्यवाद क्यों दिया ?
:- जब अष्टावक्र ने सब कुछ सहने के बाद भी उसे माफ़ कर दिया और कुलफियों दे दी, तो कुलफीवाले ने उसकी सहृदयता देखकर ईश्वर को धन्यवाद दिया। - इस पाठ का सबसे मार्मिक प्रसंग कौन है और क्यों ?
:- सबसे मार्मिक प्रसंग माँ की मृत्यु का है, क्योंकि उसमें माँ-बेटे के प्रेम, संघर्ष और गहराई से जुड़ी भावनाएँ झलकती है। - इस रेखाचित्र का सारांश लिखें।
:- यह पाठ एक गरीब, विकलांग लड़के ‘अष्टावक्र’ की मार्मिक कहानी है जो अपनी माँ के साथ झुग्गी में रहता है। गरीबी, तिरस्कार और शारीरिक कमजोरी के बावजूद वह मेहनत करता है। समाज से उपेक्षा और अपमान सहता है, फिर भी वह मानवता और संवेदनशीलता का परिचय देता है। माँ की मृत्यु उसके जीवन का सबसे बड़ा आघात बनती है। यह कहानी संघर्ष, प्रेम और आत्मबल की मिसाल है। 16. माँ की मृत्यु के पश्चात् - अष्टावक्र की मानसिक स्थिति का वर्णन करें। न करें।
:- माँ की मृत्यु के बाद अष्टावक्र पूरी तरह टूट गया। वह गहरे शोक में डूब गया, किसी से कुछ नहीं बोला, न ही कुछ खाया-पिया। वह दुःख से सुन्न और निष्क्रिय सा हो गया।
पाठ के आस-पास :-
- अपने आस-पास पड़ोस में ऐसे चरित्र की खोज करें जो अष्टावक्र से मिलता-जुलता हो। उसकी गरीबी और संघर्ष का चित्रण करते हुए एक रेखाचित्र खीचिए।
:- रेखाचित्रः “रामू – मेरी बस्ती का अष्टावक्र”
मेरे मोहल्ले में एक लड़का है रामू। वह लगभग 13-14 साल का है। उसका शरीर थोड़ा टेढ़ा-मेढ़ा है; वह ठीक से चल भी नहीं पाता। बचपन में पोलियो हो गया था, जिससे उसका एक पैर कमजोर हो गया।
रामू का परिवार बेहद गरीब है। उसके पिता मज़दूरी करते हैं और माँ घरों में काम। रामू खुद स्कूल नहीं जा पाता, पर घर पर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता है और साथ ही छोटे-मोटे सामान जैसे पेन, पेंसिल और बिस्कुट बेचता है।
रामू बहुत मेहनती है। वह अपने हालात से हार नहीं मानता। सब उसका मजाक उड़ाते हैं, पर वह मुस्कुराकर सब झेलता है। उसकी आँखों में आत्मबल है, जैसे वह खुद को साबित करना चाहता हो।
रामू में मुझे ‘अष्टावक्र’ की छवि दिखती है शारीरिक रूप से कमजोर लेकिन मानसिक रूप से बेहद मज़बूत। वह बताता है कि हिम्मत, मेहनत और सच्चाई से कोई भी लड़ाई जीती जा सकती है। - . अष्टावक्र के नाम से एक ऋषिपुत्र हो चुके हैं जिनका बौद्धिक और आध्यात्मिक संपर्क राजर्षि जनक से हुआ था। उन्होंने जनक को जो उपदेश दिए उसे अष्टावक्र गीता या महागीता कहते हैं। इसके संबंध में विस्तृत विवरण अपने शिक्षक या अन्य विज्ञजनों से मालूम करें।
उत्तरः अष्टावक्र गीता या महागीता का परिचय
ऋषि अष्टावक्र प्राचीन भारत के एक महान विद्वान और तत्वज्ञान के ज्ञाता थे। वे बचपन से ही अत्यंत मेधावी थे। उनका शरीर आठ जगह से विकृत था, इसलिए उन्हें ‘अष्टावक्र’ कहा गया। राजा जनक जब आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में थे, तब उन्होंने ऋषि अष्टावक्र से मार्गदर्शन मांगा। अष्टावक्र ने उन्हें आत्मा, ब्रह्म, माया, मोक्ष और अद्वैत वेदांत के गूढ़ सिद्धांतों का उपदेश दिया। यह संवाद ‘अष्टावक्र गीता’ या ‘महागीता’ के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें कुल 20 अध्याय और 298 श्लोक हैं। यह ग्रंथ ‘ज्ञानयोग’ और ‘अद्वैतवाद’ पर आधारित है। इसका मुख्य संदेश है कि आत्मा शुद्ध, नित्य और अजर-अमर है।अष्टावक्र गीता बताती है कि मोक्ष प्राप्ति के लिए बाहरी साधनों की नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और वैराग्य की आवश्यकता होती है। यह ग्रंथ भारतीय दर्शन का एक अमूल्य रत्न है।
भाषा की बात :-
- निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक रूप लिखें
- विशाल – संकुचित
- बदबूदार – सुगंधित
- सौभाग्य – दुर्भाग्य
- शाश्वत क्षणिक
- मूर्ख – बुद्धिमान
- विधवा-विधुर
- निम्नलिखित शब्दों के वचन परिवर्तित करें
- बेटे-बेटा
- कपड़े कपड़ा
- बूँदै-बूंद
- माता – माताएँ
- लता लताएँ
- कोठरियाँ-कोठरी
- निम्नलिखित शब्दों का वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग-निर्णय करें
- सौभाग्य- यह शब्द स्त्रीलिंग है।
वाक्यः उसे जीवन में बहुत सौभाग्य मिला है। - बुद्धि – यह शब्द स्त्रीलिंग है।
वाक्यः उसकी बुद्धि बहुत तेज है। - वस्त्र- यह शब्द पुलिंग है।
वाक्यः उसने नए वस्त्र पहने थे। - उंगली- यह शब्द स्त्रीलिंग है।
वाक्यः उसकी उँगली में अंगूठी है। - कुआँ – यह शब्द पुलिंग है।
वाक्यः गाँव में एक पुराना कुआँ है। - गोद – यह शब्द स्त्रीलिंग है।
वाक्यः वह अपने बच्चे को गोद में उठाए हुए थी। - दही- यह शब्द पुलिंग है।
वाक्यः दही खाना सेहत के लिए फायदेमंद है। - पानी- यह शब्द पुलिंग है।
वाक्यः पानी पीने से ताजगी आती है। - पकौड़ी यह शब्द स्त्रीलिंग है।
वाक्यः गरम-गरम पकौड़ी खाने में बहुत मज़ा आता है। - संध्या यह शब्द स्त्रीलिंग है।
वाक्यः संध्या समय बहुत शांति होती है।
- सौभाग्य- यह शब्द स्त्रीलिंग है।
- उसने कहा कि वह नहीं आएगा। पाठ में आए इस तरह के मिश्र वाक्यों का चुनाव करें।
इस प्रकार के मिश्र वाक्य में दो वाक्य होते हैं, जिनमें एक वाक्य प्रधान होता है और दूसरा उसके साथ जुड़ा होता है। उदाहरण के लिए, “उसने कहा कि वह नहीं आएगा।”
मिश्र वाक्य का उदाहरणः “मैंने सोचा कि वह आएगा, लेकिन वह नहीं आया।” - पाठ में आए पाँच अव्यय पदों को चुनें।
अव्यय शब्द वे होते हैं जिनका रूप कभी नहीं बदलता। पाठ में से पाँच अव्यय पदः- कभी
- नहीं
- फिर
- भी
- सिर्फ
- ‘पत्थर की रेखा’ और ‘माथा ठोंकना’ मुहावरे का वाक्य प्रयोग द्वारा अर्थ स्पष्ट करें।
- पत्थर की रेखा-यह मुहावरा किसी कठिन और स्थिर स्थिति को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिसे बदलना बहुत मुश्किल हो।
वाक्यः उसका फैसला पत्थर की रेखा की तरह मजबूत था, जो किसी भी परिस्थिति में नहीं बदल सकता था। - माथा ठोंकना – यह मुहावरा दुख, अफसोस या पछतावे को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
वाक्यः उसे अपनी गलती पर पछतावा हुआ और वह माथा ठोकते हुए वापस लौटा।
- पत्थर की रेखा-यह मुहावरा किसी कठिन और स्थिर स्थिति को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिसे बदलना बहुत मुश्किल हो।