प्रश्नोत्तर | कहानी का प्लॉट | लेखक: शिवपूजनसहाय | कक्षा- 9 | पाठ-1 |

लेखक शिवपूजन सहाय कहानी लिखते हुए, पृष्ठभूमि में ग्रामीण नवविवाहित दंपति और एक कठोर थानेदार।

कहानी का प्लॉट – सारांश

लेखक: शिवपूजन सहाय
कक्षा 9 हिंदी (बिहार बोर्ड)

“कहानी का प्लॉट” एक रोचक और हास्यपूर्ण संस्मरण है, जिसमें लेखक शिवपूजन सहाय ने एक लेखक की मानसिक उलझनों और रचनात्मक संघर्षों को बड़े ही सरल और व्यंग्यात्मक अंदाज में प्रस्तुत किया है।

यह अध्याय हमें यह दिखाता है कि एक कहानी लिखने के लिए केवल कल्पना या विचार ही नहीं, बल्कि एक मजबूत और सुसंगठित प्लॉट (कथानक) की आवश्यकता होती है। लेखक खुद एक कहानी लिखने का प्रयास करते हैं, लेकिन उन्हें उपयुक्त प्लॉट नहीं मिल पाता। वह बार-बार शुरुआत करते हैं, मगर हर बार कहानी किसी न किसी कारण से अधूरी रह जाती है।

इस प्रक्रिया में वह अपने मित्रों से भी सलाह लेते हैं, लेकिन उनके सुझाव भी व्यर्थ साबित होते हैं। लेखक की यह उलझन पाठकों को हँसाते हुए यह संदेश देती है कि लेखन एक गंभीर और मेहनत भरा कार्य है, जिसमें विषय, पात्र, वातावरण और उद्देश्य – सभी का समुचित तालमेल आवश्यक होता है।

मुख्य बिंदु:

  • कहानी लेखन में प्लॉट की अहम भूमिका को उजागर किया गया है।

  • लेखक की असफल कोशिशें पाठकों को हास्य का अनुभव कराती हैं।

  • लेखन के प्रति गंभीरता और सोच-विचार की आवश्यकता को बताया गया है।

  • शैली व्यंग्यात्मक और संवादात्मक है, जो पाठकों को आकर्षित करती है।

 


कहानी का प्लॉट – प्रश्नोत्तर | कक्षा 9 हिंदी | बिहार बोर्ड


प्रश्न 1. लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि कहानी लिखने योग्य प्रतिभा भी मुझमें नहीं है जबकि यह कहानी श्रेष्ठ कहानियों में एक है?
उत्तर –

लेखक ने अपनी प्रतिभा को लेकर संकोच और विनम्रता दिखाई है। उन्होंने अपने आप को कहानी लिखने योग्य नहीं माना, जबकि वास्तव में यह कहानी उनकी लेखन क्षमता का अच्छा उदाहरण है, जो पाठकों को प्रभावित करती है।

प्रश्न 2. लेखक ने भगजोगनी नाम ही क्यों रखा?
उत्तर –

लेखक ने ‘भगजोगनी’ नाम इसलिए रखा क्योंकि यह ग्रामीण जीवन और संस्कृति को दर्शाता है। यह नाम नायिका के चरित्र, उसकी परिस्थितियों और कहानी के भाव को पूरी तरह व्यक्त करता है।

प्रश्न 3. मुंशीजी के बड़े भाई क्या थे?
उत्तर –

मुंशीजी के बड़े भाई एक पुलिस दारोगा थे। वे एक प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत थे और परिवार में उनका सम्मानपूर्ण स्थान था।

प्रश्न 4. दारोगाजी की तरक्की रुकने की क्या वजह थी?
उत्तर –

दारोगाजी की तरक्की इसलिए रुक गई क्योंकि उन्होंने अंग्रेज अफसरों को अपनी प्रिय घोड़ी बेचने से इंकार कर दिया था। यह उनके आत्मसम्मान और सिद्धांतों को दर्शाता है।


प्रश्न 5. मुंशीजी अपने बड़े भाई से कैसे उऋण हुए?
उत्तर –

मुंशीजी ने अपने बड़े भाई के उपकारों का बदला चुकाने के लिए एक गोरे अफसर को ऊँची कीमत पर घोड़ी बेच दी। यह उनके कर्तव्यबोध और व्यवहारिक सोच को दिखाता है।

प्रश्न 6. ‘थानेदार की कमाई और फूस का तापना दोनों बराबर हैं’, लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर –

लेखक ने यह कथन कहकर बताया है कि थानेदार की कमाई अधिक टिकाऊ नहीं होती। जैसे फूस की आग थोड़ी देर जलती है, वैसे ही गलत तरीके से कमाया गया धन जल्दी खत्म हो जाता है।

प्रश्न 7. ‘मेरी लेखनी में इतना जोर नहीं’ लेखक ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर –

लेखक यह कहकर अपनी असमर्थता जताता है कि वह भगजोगनी की सुंदरता का सजीव चित्रण नहीं कर सकता। इससे उसकी विनम्रता और उस सौंदर्य की विशेषता प्रकट होती है।

प्रश्न 8. भगजोगनी का सौंदर्य क्यों नहीं खिल सका?
उत्तर –

भगजोगनी का सौंदर्य गरीबी और जीवन की कठिन परिस्थितियों के कारण दबकर रह गया। उसे अपनी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती थीं, जिससे उसका सौंदर्य निखर नहीं पाया।

प्रश्न 9. मुंशीजी गला-फाँसी लगाकर क्यों मरना चाहते हैं?
उत्तर –

मुंशीजी अपनी आर्थिक तंगी और भगजोगनी की दयनीय दशा से बेहद दुखी थे। इस दुखद स्थिति से छुटकारा पाने के लिए वे आत्महत्या की सोचने लगे।


प्रश्न 10. भगजोगनी का दूसरा वर्तमान नवयुवक पति उसका ही सौतेला बेटा है। यह घटना समाज की किस बुराई की ओर संकेत करती है और क्यों?
उत्तर –

यह घटना समाज में बाल विवाह, विधवा की असुरक्षित स्थिति और सामाजिक अन्याय की ओर इशारा करती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं को कितनी पीड़ा और अन्याय झेलना पड़ता है।


प्रश्न 11. इस कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर –


यह कहानी एक ऐसे लेखक की है जो एक अच्छी कहानी लिखना चाहता है, लेकिन उसे लगता है कि उसके पास कहानी लिखने की कोई खास प्रतिभा नहीं है। वह एक बार गाँव जाता है, जहाँ उसे भगजोगनी नाम की एक महिला की दुखभरी कहानी सुनने को मिलती है। भगजोगनी बहुत सुंदर थी, लेकिन उसका जीवन गरीबी और दुखों से भरा हुआ था। उसका सौंदर्य भी उसकी कठिन जिंदगी में कहीं खो गया था।
लेखक को उसकी कहानी इतनी मार्मिक और सच्ची लगती है कि वह उसी पर कहानी लिखने का निर्णय लेता है। इस प्रक्रिया में लेखक को यह समझ आता है कि असली कहानियों हमारे आस-पास के जीवन और लोगों से मिलती हैं।
इस प्रकार, यह कहानी दिखाती है कि एक लेखक को अपनी कहानी के लिए विचार (प्लॉट) जीवन के अनुभवों और समाज की सच्चाई से मिलते हैं, न कि केवल कल्पना से।


आशय स्पष्ट करें –


(क) ‘जो जीभ एक दिन बटेरों का शोरबा सुड़कती थी, अब वह सराह सराहकर मटर का सत्तू सरपोटने लगी। चुपड़ी चपातियाँ चबानेवाले दाँत अब चंद चने चबाकर दिन गुजारने लगे।
उत्तर-
आशय (भावार्थ):
इस पंक्ति में लेखक ने मुंशीजी के बदले हुए हालात को दिखाया है।
पहले वे बहुत सुख-सुविधा में रहते थे स्वादिष्ट भोजन जैसे बटेर का शोरबा और घी लगी चपातियाँ खाते थे।
अब समय बदल गया है, और वे साधारण और सस्ता खाना जैसे मटर का सत्तू और चना खाकर

गुज़ारा कर रहे हैं।
यह पंक्ति दिखाती है कि कैसे जीवन में समय और परिस्थितियाँ बदलती रहती है, और कभी राजा जैसा जीवन जीने वाला इंसान भी सादगी में जीने को मजबूर हो सकता है।

(ख) ‘सचमुच अमीरी की कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है।’
उत्तर-
आशय (भावार्थ):
इस पंक्ति में लेखक ने यह बताया है कि जब कोई इंसान पहले अमीर होता है और बाद में गरीबी में जीने को मजबूर हो जाता है, तो वह स्थिति बहुत कष्टदायक और पीड़ादायक होती है।
गरीबी खुद में दुखद होती है, लेकिन अगर वह अमीरी के बाद आती है, तो इंसान को और भी ज़्यादा अपमान, तकलीफ़ और मानसिक पीड़ा होती है।
क्योंकि पहले की सुख-सुविधाओं की यादें उसे और ज़्यादा तड़पाती हैं।
यह पंक्ति मुंशीजी की स्थिति पर बिल्कुल सटीक बैठती है जो कभी अमीर थे, अब बहुत गरीबी में जी रहे हैं।



पाठ के आस-पास :-

  1. शिवपूजन सहाय को आंचलिक कथा साहित्य का जनक माना जाता है। इनकी और रेणु की आंचलिकता में क्या समानता असमानता पाते हैं। शिक्षक से जानकारी प्राप्त करें।
    उत्तर –
    समानताएँ (Similarities)
  2. स्थानीय जीवन का चित्रणः
    दोनों लेखकों ने अपने लेखन में गाँव देहात के जीवन, वहाँ की संस्कृति, रीति-रिवाज और बोली को
    प्रमुखता दी है।
    शिवपूजन सहाय ने बिहार के गाँवों का चित्रण किया।
    रेणु ने पूर्णिया और कोसी अंचल के जीवन को जीवंत किया।
  3. स्थानीय भाषा और बोलियों का प्रयोगः
    दोनों ने अपनी रचनाओं में स्थानीय बोलचाल की भाषा, मुहावरों, लोकोक्तियों और बोली का
    प्रभावशाली प्रयोग किया, जिससे उनका साहित्य अधिक यथार्थपरक बना। 3. सामाजिक यथार्थ का चित्रणः
    दोनों कथाकारों ने समाज में व्याप्त गरीबी, जातिवाद, अन्याय और शोषण को अपने लेखन में
    उजागर किया।

    असमानताएँ (Differences)
  4. लेखन की शैली और दृष्टिकोण:
    शिवपूजन सहाय की भाषा अधिक शुद्ध और साहित्यिक है। उनका लेखन प्रगतिशील होते हुए भी थोड़ा नैतिक शिक्षा देने वाला होता है।
    रेणु का लेखन अधिक सहज, संवेदनशील और लोक-संस्कृति में डूबा हुआ होता है।
    उनकी शैली में चित्रात्मकता और संगीतात्मकता अधिक है।
  5. कथा की बुनावट
    शिवपूजन सहाय की कहानियाँ पारंपरिक ढाँचे में लिखी गई है, जहाँ शुरुआत, संघर्ष और
    समाधान स्पष्ट होता है।
    रेणु की कहानियों और उपन्यासों में जीवन के टुकड़ों को जोड़कर एक चित्र प्रस्तुत किया जाता है: जैसे “मैला आँचल में कथानक की रेखीयता नहीं है।
  6. राजनीतिक चेतना और आंदोलनः
    शिवपूजन सहाय के लेखन में स्वतंत्रता संग्राम की छाया कम मिलती है।
    रेणु स्वयं स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े थे, इसलिए उनके साहित्य में सामाजिक और राजनीतिक चेतना अधिक मुखर रूप में दिखाई देती है।
    निष्कर्ष (Conclusion):
    शिवपूजन सहाय आंचलिक कथा साहित्य के प्रारंभकर्ता माने जाते हैं, जबकि फणीश्वरनाथ रेणु ने उसे
    शिखर तक पहुँचाया। सहाय ने इसकी नींव रखी और रेणु ने उसे विस्तार दिया। दोनों की
    आंचलिकता ने हिन्दी साहित्य को जनजीवन के निकट ला खड़ा किया।
  7. लेखक द्वारा कहानी में मुंशीजी के सुख-दुख के दिनों का शब्दचित्र प्रस्तुत किया गया है। इसी तरह के आस-पास के पात्रों का अपनी भाषा में शब्दचित्र प्रस्तुत कीजिए ।
    उत्तर –
    आस-पास के पात्रों का शब्दचित्र (मुंशीजी जैसे पात्रों की झलक)
  8. रामलाल चाचा
    गाँव के बुजुर्ग, सफ़ेद धोती-कुर्ता पहनते हैं। हर बात में अनुभव की गहराई होती है। सुबह-
    सुबह मंदिर जाते हैं और बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। गाँव की हर समस्या में सबसे आगे रहते
  9. शिवा किसान
    दिनभर खेतों में मेहनत करता है। चेहरा सूरज की तरह तपा हुआ, पर मुस्कान हमेशा साथ।
    सादा जीवन, गहरी सोच दूसरों की मदद करने में सबसे आगे।
  10. फुलकुंवर बुआ
    गाँव की सबसे बातूनी और हँसमुख महिला। हर किसी की खबर रखती हैं। पक्की देशी बोली
    बोलती हैं। सबकी बुआ हैं, पर बच्चों की सबसे प्यारी।
  11. नन्हा गुल्लू
    गाँव का छोटा बच्चा, फटी सी निकर और आधी कमीज़ में साइकिल का टायर घुमाते दौड़ता रहता है। उसकी हँसी में गाँव की सादगी झलकती है।
  12. इन पात्रों में भी मुंशीजी जैसी सादगी, संघर्ष और अपनापन दिखाई देता है।
  13. शिवपूजन सहाय कथाकार और निबंधकार के साथ-साथ एक सफल पत्रकार भी थे इस संबंध में अपने शिक्षक से जानकारी प्राप्त करें।
    उत्तर-
    शिवपूजन सहायः कथाकार, निबंधकार और पत्रकार
    शिवपूजन सहाय सिर्फ अच्छे लेखक ही नहीं, बल्कि सफल पत्रकार भी थे। उन्होंने हिन्दी
    पत्रकारिता को नई दिशा दी।
    कथाकार और निबंधकार के रूप में:
    1.इन्होंने सरल भाषा में कहानियाँ और निबंध लिखे।
    2.आम लोगों की बातें, सामाजिक समस्याएँ और गाँव का जीवन इनकी रचनाओं में दिखता है।
    3.उनकी रचना ‘देहाती दुनिया’ बहुत प्रसिद्ध है।
    पत्रकार के रूप में:
    1.सहाय जी ने कई अखबारों और पत्रिकाओं में काम किया, जैसे मतवाला, माधुरी, विशाल
    भारत आदि।
    2.वे संपादक भी रहे और उन्होंने लेखन को जन-जीवन से जोड़ा।
    3.उनकी पत्रकारिता में सच्चाई, समाज की चिंता और देशभक्ति झलकती थी।
    निष्कर्षः
    शिवपूजन सहाय ने साहित्य और पत्रकारिता दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे
    हिन्दी के उन गिने-चुने लेखकों में से हैं, जिन्होंने लेखनी के ज़रिए समाज को दिशा दी।
  14. लेखक ने दारोगाजी के लिए काबिल, मेहनती, ईमानदार, चालाक, दिलेर और मुस्तैद आदि 4
    विशेषणों का प्रयोग किया है। इनका प्रयोग करते हुए आप भी किसी ऐसे व्यक्ति का शब्द चित्र दस वाक्यों में प्रस्तुत करें।
    उत्तर-
    • उनकी ईमानदारी की मिसाल पूरा गाँव देता है चाहे छोटा काम हो या बड़ा।
    • वे हर परिस्थिति को जल्दी समझ जाते हैं, इसलिए लोग उन्हें चालाक भी कहते हैं।
    • किसी को भी ज़रूरत हो, वे बिना डरे मदद के लिए दिलेर बनकर सामने आते हैं।
    • गाँव में जब कोई संकट आता है, तो वे सबसे पहले मुस्तैद होकर खड़े हो जाते हैं।
    • उनकी आँखों में आत्मविश्वास और चेहरे पर सादगी झलकती है।
    • वे बच्चों को पढ़ाते हैं और बड़ों की सेवा करते हैं।
    • उनकी बातों में सच्चाई और व्यवहार में नम्रता है।
    • ऐसे लोग समाज के असली हीरो होते हैं, जो बिना नाम-शोहरत के काम करते हैं।
    • मेरे गाँव के सुरेंद्र भैया एक काबिल और समझदार व्यक्ति हैं।
    • वे हर काम को पूरी जिम्मेदारी से करते हैं, इसलिए सब उन्हें मेहनती मानते हैं।
  15. प्राकृतिक ‘भगजोगनी’ (जुगनू) को देखकर उसकी गतिविधियों एवं सौंदर्य पर प्रकाश डालें।
    उत्तर –
    जुगनू की गतिविधियाँ और सौंदर्य :-
    रात के अंधेरे में चमकता जुगनू प्रकृति का एक अनोखा चमत्कार है।
    जब चारों ओर सन्नाटा और अंधकार होता है, तब जुगनू अपनी हल्की रोशनी से वातावरण को सजाता है।
    यह नन्हा जीव उड़ते हुए जैसे सितारों को धरती पर बिखेरता है।
    उसकी चमक स्थिर नहीं होती, बल्कि झपकती है, जो उसे और आकर्षक बनाती है।
    जुगनू खेतों, झाड़ियों और पेड़ों के आस-पास दिखाई देता है, मानो प्रकृति की आँखों में चमक हो।
    उसकी गतिविधियाँ शांत होती हैं, पर उसकी उपस्थिति वातावरण को जीवंत बना देती है।
    बच्चे जुगनू को पकड़ने की कोशिश करते हैं, और वह धीमे से उड़ जाता है।
    उसकी रोशनी बिना किसी ऊर्जा स्रोत के निकलती है, जो प्रकृति की चमत्कारी देन है।
    जुगनू की चमक अंधेरे में आशा और सुंदरता का प्रतीक बन जाती है।
    वह न केवल एक कीट है, बल्कि प्रकृति का जादुई दीपक है।
  16. इस पाठ में दुष्यंत और शकुंतला का नाम आया है। आप दुष्यंत और शकुंतला की कथा अपने शिक्षक से जानें ।
    उत्तर-
    दुष्यंत और शकुंतला की कथा
    दुष्यंत पुरु वंश के एक महान और न्यायप्रिय राजा थे।
    एक दिन वे जंगल में शिकार करते हुए ऋषि कण्व के आश्रम पहुँचे।
    वहाँ उनकी भेंट हुई शकुंतला से, जो सुंदर, सरल और विनम्र कन्या थी।
    दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और गांधर्व विवाह कर लिया।
    राजा दुष्यंत को राज्य वापस लौटना पड़ा, और शकुंतला को आश्रम में ही रहना पड़ा।
    एक बार ऋषि दुर्वासा आश्रम आए, लेकिन शकुंतला ध्यानमग्न थी।
    दुर्वासा ने नाराज़ होकर उसे श्राप दिया कि जिसे तुम याद कर रही हो, वह तुम्हें भूल जाएगा।”
    हालाँकि ऋषि ने बाद में शाप से मुक्ति का उपाय भी बताया जब वह तुम्हारी अंगूठी देखेगा,
    सब याद आ जाएगा।”
    शकुंतला राजा के पास पहुँची, पर अंगूठी रास्ते में खो गई, और राजा उसे पहचान नहीं पाए। बाद में एक मछुआरे को वह अंगूठी मिली, और जब राजा ने उसे देखा तो उन्हें सब कुछ याद आ गया।
    वे तुरंत शकुंतला को सम्मानपूर्वक महल ले आए, और दोनों का पुनर्मिलन हुआ। उनके पुत्र भरत महान सम्राट बना, जिनके नाम पर ‘भारतवर्ष’ पड़ा।

भाषा की बात:

  1. मुहावरों का वाक्य प्रयोगः

    1.बारूद की पुड़िया होना
    वाक्यः राम का स्वभाव ऐसा है कि जरा-सी बात पर भड़क उठता है, वह तो बारूद की पुड़िया है।
    अर्थः बहुत ही गुस्सैल और तुरंत क्रोधित हो जाने वाला व्यक्ति।

    2.निबुआ नोन चटाना
    वाक्यः गाँव के जमींदार ने मज़दूरों से दिन-भर काम लेकर उन्हें निबुआ नोन चटा दिया।
    अर्थ: किसी को बहुत कठिन स्थिति में डालना या बहुत तंग करना।


    3.घी के दिए जलाना
    वाक्यः बेटी के पहले वेतन पर माँ ने घी के दिए जलाए।
    अर्थः खुशी का उत्सव मनाना।

    4.सुबह का चिराग होना

    वाक्यः दादी अब सुबह का चिराग हो गई हैं, हर समय चिंता रहती है।
    अर्थः बहुत वृद्ध व्यक्ति जिसकी मृत्यु निकट हो।

    5.पाँचों उँगलियाँ घी में होना
    वाक्यः
    इस नौकरी में तो उसकी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं।
    अर्थ: हर तरह से आराम और लाभ की स्थिति में होना।

    6.कोढ़ में खाज होना
    वाक्यः पहले से ही परेशानी कम नहीं थी, अब बिजली चली गई ये तो कोढ़ में खाज हो गया।
    अर्थ: पहले से मौजूद परेशानी में और भी मुसीबत बढ़ जाना।

    7.कलेजा काँपना
    वाक्यः भूकंप के झटकों से सभी का कलेजा काँप गया।
    अर्थः बहुत अधिक डर जाना।

    8.बाट जोहना
    वाक्यः माँ शाम से बेटे की बाट जोह रही है।
    अर्थ: किसी के आने की प्रतीक्षा करना।

    9.दाँत दिखाना
    वाक्यः वह सीनियर को काम नहीं करता और उल्टे दाँत दिखाता है।
    अर्थ: उद्दंडता या अभद्रता करना।
    10.छाती पर पत्थर रखना
    वाक्यः माँ ने छाती पर पत्थर रखकर बेटे को पढ़ाई के लिए शहर भेजा।
    अर्थः मन को मारकर कठिन निर्णय लेना।
    11.टन बोल जाना
    वाक्यः जैसे ही चोरी का पता चला, पड़ोसियों में टन बोल गया।
    अर्थ: अचानक हड़कंप मच जाना या सनसनी फैल जाना।
    12.कलेजा टूक टूक हो जाना
    वाक्यः बेटे की दुर्घटना की खबर सुनकर माँ का कलेजा टूक टूक हो गया।
    अर्थः अत्यधिक दुखी और व्यथित हो जाना।
  2. विलोम शब्दः
    साधारण असाधारण
    अमीरी गरीबी
    कृत्रिम × प्राकृतिक
    सुंदर असुंदर
    कर्कश मधुर
    संतोष असंतोष
  3. पर्यायवाची शब्दः
    • चिड़ियाः पक्षी, खग, विहंग
    • घरः गृह, निवास, आवास
    • फूलः पुष्प, सुमन, कुसुम
    • तीरः बाण, शर, नाराच
    • घोड़ा: अश्व, तुरग, घोटक
  4. वचन बदलें:
    भाषा (एकवचन) भाषाएँ (बहुवचन)
    इमारत (एकवचन) इमारतें (बहुवचन)

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