प्रश्नोत्तर | लाल पान की बेगम | लेखकःफणीश्वरनाथ मंडल |कक्षा- 9 | पाठ-4 | बिहार बोर्ड | BSEB


लाल पान की बेगम कहानी का ग्रामीण दृश्य - महिला और बच्चे गाँव में

पाठ – लाल पान की बेगम
लेखक – फणीश्वरनाथ मंडल

लाल पान की बेगमसारांश :

यह पाठ एक हास्य-व्यंग्य रचना है, जिसमें लेखक “इब्ने इंशा” लखनऊ शहर की यात्रा का वर्णन मज़ेदार अंदाज़ में करते हैं। वह लखनऊ की खास बातों, वहाँ की तहज़ीब, भाषा, लोगों के व्यवहार और खास तौर पर पान खाने की आदत के बारे में हँसी-ठिठोली करते हैं।

लेखक बताते हैं कि लखनऊ में हर कोई बहुत तहज़ीब से बात करता है और वहाँ की महिलाएँ भी बहुत शालीन और सजी-सँवरी होती हैं। खासकर एक महिला, जिन्हें लेखक “लाल पान की बेगम” कहते हैं, बहुत आकर्षक और मज़ेदार लगती हैं। वह हर समय पान खाती हैं और उनकी बातचीत का अंदाज़ बड़ा ही रोचक होता है।

लेखक इस बेगम के माध्यम से लखनऊ की संस्कृति, लोगों की बोलचाल, खान-पान और रहन-सहन का मज़ेदार चित्रण करते हैं। पूरी कहानी में हास्य और व्यंग्य के साथ लखनऊ की खूबसूरती और उसकी परंपरा को भी सराहा गया है।

मुख्य बातें:

  • यह एक हास्य-व्यंग्य रचना है।
  • लखनऊ की भाषा, संस्कृति और पान खाने की परंपरा का चित्रण है।
  • “लाल पान की बेगम” एक प्रतीक हैं लखनऊ की सुंदरता और तहज़ीब का।
  • लेखक का अंदाज़ मज़ेदार और मनोरंजक है।

लाल पान की बेगम | प्रश्नोत्तर | कक्षा- 9 | बिहार बोर्ड

पाठ के साथ :-

  1. बिरजू की माँ को ‘लाल पान की बेगम’ क्यों कहा गया है?
    उत्तरः

    बिरजू की माँ को ‘लाल पान की बेगम’ इसलिए कहा गया है क्योंकि वह हमेशा पान खाती रहती थी और उसका मुंह हमेशा पान की लाल रंगत से भरा रहता था। वह पान खाने की बहुत शौकीन थी और उसका बोलने का अंदाज़ भी बेगमों जैसा बनावटी और खास था। इस कारण लेखक ने उसे मज़ाकिया ढंग से ‘लाल पान की बेगम’ कहा है।
  2. “नवान्न के पहले ही नया धान जुठा दिया।” इस कथन से बिरजू की माँ का कौन-सा मनोभाव प्रकट हो रहा है?
    उत्तरः

    इस कथन से बिरजू की माँ का अंधविश्वास और रूढ़िवादी सोच प्रकट होती है। वह मानती है कि नवान्न (नई फसल का पहला उपयोग) से पहले नया धान खाना अपशकुन होता है। यह कथन उसके पुराने परंपरागत विश्वास को दर्शाता है।
  3. बिरजू की माँ बैठी मन ही मन क्यों कुढ़ रही थी?
    उत्तरः

    बिरजू की माँ मन ही मन इसलिए कुढ़ रही थी क्योंकि लेखक ने नए धान की खिचड़ी बना दी थी, जो उसने नवान्न के पहले नहीं खानी चाहिए थी। वह इसे अपशकुन मान रही थी और सोच रही थी कि इसका बुरा असर उनके बेटे बिरजू पर पड़ेगा। थी क्योंकि
  4. लाल पान की बेगम’ शीर्षक कहानी की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
    उत्तरः

    कहानी का शीर्षक ‘लाल पान की बेगम’ बहुत ही उपयुक्त और सार्थक है, क्योंकि यह नाम बिरजू की माँ के चरित्र को
    व्यंग्यात्मक ढंग से दर्शाता है। वह हमेशा पान खाती है, बोलचाल में नवाबी अंदाज़ दिखाती है, और खुद को दूसरों से खास समझती है। ‘बेगम’ शब्द से उसकी बनावटी शान-शौकत और ‘लाल पान’ से उसकी आदत का चित्र खिंचता है। इस तरह यह शीर्षक कहानी के केंद्रीय पात्र और उसकी प्रवृत्ति को सटीक रूप में प्रस्तुत करता है।
  5. सप्रसंग व्याख्या करें:
    पंक्तिः

    “चार मन पाट (जूट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पाँव ही नहीं पड़ते।
    “सप्रसंग व्याख्याः
    यह पंक्ति ‘लाल पान की बेगम’ कहानी से ली गई है। यह कथन बिरजू की माँ द्वारा कहा गया है, जिसमें वह गाँव की महिलाओं पर कटाक्ष करती है।
    जब किसी को थोड़ा-सा पैसा या धन मिल जाता है, तो उसका व्यवहार बदल जाता है। वह घमंडी हो जाती है और आम लोगों से दूरी बनाने लगती है। यहाँ ‘धरती पर पाँव न पड़ना’ अभिमान और घमंड का प्रतीक है। यह व्यंग्यात्मक शैली में कहा गया है, जो लेखक की खासियत है।
  6. (क) इस कथन से चपिया के प्रति माँ की किस मनोभावना की अभिव्यक्ति होती है?
    उत्तरः

    इस कथन से यह पता चलता है कि माँ चपिया से बहुत बहुत सख्ती से पेश आती है। उसमें चपिया की छोटी-छोटी गलतियों पर भी गुस्सा और झुंझलाहट दिखाई देती है। इसका कारण यह है कि माँ अपने जीवन की परेशानियों और तनावों को अनजाने में चपिया पर उतारती है। इसमें प्यार भी छिपा है, पर उसका तरीका कठोर है।
  7. बिरजू की माँ और पिता के संबंधों में कड़वाहट स्थाई है या अस्थाई? कारण स्पष्ट करें।
    उत्तरः

    बिरजू की माँ और पिता के संबंधों में जो कड़वाहट दिखाई देती है, वह अस्थाई है।
    माँ गुस्से में और दुखी होकर पिता को कोसती है, लेकिन यह उसके भीतर के दर्द और संघर्ष की अभिव्यक्ति है। पति ने उसे जीवन भर काम करवाया, कोई सुख नहीं दिया- यह सोचकर वह दुखी होती है। परंतु वह अपने पति को छोड़ती नहीं, बल्कि उसी के लिए लड़ती-झगड़ती रहती है। इसका मतलब है कि उनके रिश्ते में प्यार भी है, बस अभिव्यक्ति कठोर रूप में होती है।
  8. गाँव की गरीबी और ईर्ष्या के बीच प्राकृतिक प्रसन्नता कैसे दिखाई देती है?
    उत्तरः

    गाँव में गरीबी, आपसी ईर्ष्या और तानेबाजी के बावजूद वहाँ का वातावरण प्राकृतिक रूप से प्रसन्नता से भरा है। बच्चे चंचल हैं, खेलते-कूदते हैं। स्त्रियाँ आपस में ताना मारती हैं, लेकिन फिर भी साथ रहती हैं। खेतों की हरियाली, त्योहारों की तैयारी और घर-परिवार की हलचल में एक अनोखी जीवंतता और खुशी है, जो केवल ग्रामीण जीवन में ही देखी जा सकती है।
  9. बिरजू और चपिया की चंचलता और बालमन के उदाहरण दें।
    उत्तरः

    बिरजू लेखक के साथ शरारत करता है, परशादी की बात सुनते ही मुँह से पानी टपकाता है।
    चपिया, माँ के डाँटने की आदत से डरती है, पर फिर भी काम करती है।
    दोनों बच्चे कहानी में चुलबुले, मासूम और भावुक दिखाई देते हैं।
    इनका व्यवहार दर्शाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी बच्चों की चंचलता बनी रहती है।
  10. लाल पान की बेगम कहानी का सारांश लिखें।
    उत्तरः

    यह कहानी एक गाँव की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जिसमें लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने बिरजू की माँ के माध्यम से ग्रामीण स्त्रियों की मानसिकता, गरीबी, घरेलू ताने-बाने, तथा पारिवारिक संघर्ष को व्यंग्यात्मक और संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत किया है।
    बिरजू की माँ हमेशा पान खाती है और अपने बोलचाल, रहन-सहन से खुद को अलग दिखाना चाहती है, इसलिए लेखक उसे
    ‘लाल पान की बेगम’ कहते हैं।
    इसमें गाँव की ईर्ष्या, रूढ़िवादिता, स्त्रियों की बातचीत, बच्चों की मासूमियत और ग्रामीण जीवन की जीवंतता का सुंदर चित्रण किया गया है।
  11. कहानी के पात्रों का परिचय अपने शब्दों में दें।
    उत्तरः
    बिरजू की माँ (लाल पान की बेगम): पान खाने की शौकीन, बातूनी, रूढ़िवादी, लेकिन मजबूत और मेहनती महिला।
    बिरजूः चंचल, भावुक और शरारती बालक।
    चपियाः मासूम, सहमी सहमी सी लड़की जो माँ के डॉटने के डर से काम करती है।
    बिरजू का पिताः चुपचाप काम करने वाला, अधिक बोलता नहीं, पर जिम्मेदार।
    अन्य ग्रामीण स्त्रियोंः ताना मारने वाली, जलन से भरी, फिर भी एक-दूसरे से जुड़ी। हुई।
  12. रेणु की साहित्यिक विशेषताएँ – वातावरण और परिस्थिति चित्रण के आधार पर।
    उत्तरः

    फणीश्वरनाथ रेणु अपने लेखन में गाँव के जीवन, बोली, संस्कृति और लोगों की भावनाओं को अत्यंत सजीव रूप से चित्रित करते हैं।
    वह प्राकृतिक वातावरण, घरेलू तनाव, और हास्य-व्यंग्य के माध्यम से पाठकों को कहानी से जोड़ देते हैं।
    उनकी भाषा में स्थानीयता, सरलता और भावनात्मक गहराई होती है।
    वे पात्रों को बहुत ही प्राकृतिक और वास्तविक रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिससे पाठक उन्हें अपने आसपास के लोगों
    जैसा महसूस करता है।

  1. लोकोक्तियों का अर्थ बताते हुए वाक्य में प्रयोग करें –

    (i) आगे नाथ न पीछे पगहिया

    अर्थः कोई सहारा न होना।
    वाक्यः वह अनाथ बच्चा सचमुच “आगे नाथ न पीछे पगहिया” वाली स्थिति में जी रहा है।

    (ii) कथरी के नीचे दुशाले का सपना
    अर्थः गरीबी में बड़े-बड़े सपने देखना।
    वाक्यः रामू जैसे गरीब आदमी को एयर कंडीशनर खरीदने का सपना देखना “कथरी के नीचे दुशाले का सपना” है।

    (iii) धरती पर पाँव न पड़ना
    अर्थः बहुत ज्यादा घमंड या खुशी में होना।
    वाक्यः परीक्षा में अव्वल आकर उसका “धरती पर पाँव ही नहीं पड़ रहा था”।
  2. आइन’ प्रत्यय से पाँच शब्दः
    • सेठ आइन सेठाइन
    • राजा + आइन = रानी
    • साहू आइन = साहुआइन
    • पंडित आइन = पंडिताइन
    • ठाकुर + आइन = ठाकुराइन
  3. निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययः
    शब्द
    • पड़ोसिन – ( स्त्रीवाचक बनाने वाला प्रत्यय)
    • पगहिया – ड्या (लघु रूप या स्नेह सूचक प्रत्यय)
    • मुरलिया इया (स्नेह सूचक/लघु रूप)
    • खिलखिलाहट – आहट (भाववाचक प्रत्यय)
  4. समास पहचानेंः
शब्दसमास का नाम
रसोई पानीद्वंद्व समास (रसोई और पानी)
पंचकौड़ीकर्मधारय समास (पाँच प्रकार की कौड़ी)
मान-मनौतीद्वंद्व समास
दीया-बातीद्वंद्व समास
बेटी-पतोहूद्वंद्व समास
  1. पाठ से देशज शब्द (कुछ उदाहरण):
    • चपिया
    • बिरजू
    • कोल्हू
    • मुरलिया
    • गोबर
    • लोटा
    • झकझोरना
    • धान
    • खटोला

      (देशज शब्द वे होते हैं जो हिंदी की अपनी परंपरा से निकले हों, न कि संस्कृत, अरबी या फारसी से)

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