प्रश्नोत्तर | भारत का पुरातन विद्यापीठ:नालंदा | लेखक:राजेंद्र प्रसाद | कक्षा- 9 |पाठ-2 | बिहार बोर्ड | (BSEB)


Ancient Nalanda University illustration with monks and scholars in red-brick campus courtyard during daytime

पाठ-2: भारत का पुरातन विद्यापीठ: नालंदा
लेखक: डॉ. राजेंद्र प्रसाद
कक्षा: 9 (बिहार बोर्ड)

सारांश :

यह पाठ भारत के प्राचीन शिक्षा केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय की महानता और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। लेखक डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया है कि नालंदा विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था जहाँ हजारों विद्यार्थी और शिक्षक एक साथ रहते और शिक्षा ग्रहण करते थे। यह विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म, दर्शन, चिकित्सा, गणित, व्याकरण, खगोलशास्त्र आदि विषयों का प्रमुख केंद्र था।

नालंदा में प्रवेश पाना बहुत कठिन था, क्योंकि छात्रों की कड़ी परीक्षा ली जाती थी। यहाँ देश-विदेश से विद्यार्थी अध्ययन करने आते थे, जिनमें चीन के प्रसिद्ध यात्री ह्वेनसांग भी शामिल थे। विश्वविद्यालय में पुस्तकालय की तीन बड़ी इमारतें थीं – रत्नसागर, रत्नोदधी और रत्नरंजक, जिनमें दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों का संग्रह था।

लेखक ने यह भी बताया कि किस तरह विदेशी आक्रमणों के कारण नालंदा का यह गौरवशाली केंद्र नष्ट हो गया। लेकिन इसका इतिहास आज भी भारत की शिक्षा परंपरा की महानता को दर्शाता है।

मुख्य बिंदु:

  • नालंदा प्राचीन भारत का प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था।
  • यहाँ हजारों छात्र-शिक्षक रहते और अध्ययन करते थे।
  • बौद्ध धर्म के साथ-साथ अन्य विषयों की भी पढ़ाई होती थी।
  • ह्वेनसांग जैसे विदेशी विद्वान भी यहाँ अध्ययन के लिए आए थे।
  • पुस्तकालय में लाखों ग्रंथ थे।
  • मुस्लिम आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट कर दिया।
  • यह भारत की शिक्षा संस्कृति का गौरवशाली प्रतीक है।

पाठ-2: भारत का पुरातन विद्यापीठ: नालंदा प्रश्नोत्तर | कक्षा 9 हिंदी | बिहार बोर्ड

1.” नालंदा की वाणी एशिया महाद्वीप में पर्वत और समुद्रों के उस पार तक फैल गई थी।” इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

इस वाक्य का मतलब है कि नालंदा विश्वविद्यालय की शिक्षा, ज्ञान और प्रसिद्धि सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि वह एशिया के कई देशों जैसे चीन, जापान, तिब्बत, कोरिया, श्रीलंका आदि तक पहुँच गई थी। वहाँ के विद्यार्थी भी नालंदा में पढ़ने आते थे। नालंदा का ज्ञान पूरे विश्व में फैल गया था।

  1. मगध की प्राचीन राजधानी का नाम क्या था और वह कहाँ अवस्थित थी?
    उत्तर:

    मगध की प्राचीन राजधानी का नाम “राजगृह” था। यह वर्तमान बिहार राज्य के राजगीर नामक स्थान में स्थित थी। यह जगह पहाड़ों से घिरी हुई थी और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर थी।
  2. बुद्ध के समय नालंदा में क्या था?
    उत्तर:

    बुद्ध के समय नालंदा एक प्रसिद्ध प्रसिद्ध बस्ती थी, जो राजगृह और उसके आस-पास के गांवों की तुलना में कहीं अधिक समृद्ध और सुंदर थी।
    यहाँ पर कई धर्मों के लोग रहते थे और यह स्थान शिक्षा और संस्कृति का भी केंद्र था।
  3. महावीर और मेखलीपुत्त गोसाल की भेंट किस उपग्राम में हुई थी?
    उत्तर:

    महावीर और मेखलीपुत्त गोसाल की भेंट नालंदा के उपग्राम “कुंद्रग्राम” में हुई थी।
  4. महावीर ने नालंदा में कितने दिनों का वर्षावास किया था?
    उत्तर:

    महावीर ने नालंदा में १४ वर्षों तक वर्षावास किया था।
  5. तारानाथ कौन थे? उन्होंने नालंदा को किसकी जन्मभूमि बताया है?
    उत्तर:

    तारानाथ एक तिब्बती बौद्ध विद्वान थे। उन्होंने नालंदा को शारिपुत्र की जन्मभूमि बताया है।
  6. एक जीवंत विद्यापीठ के रूप में नालंदा कब विकसित हुआ?
    उत्तर:

    नालंदा एक जीवंत वि‌द्यापीठ के रूप में पाँचवीं शताब्दी के आरंभ में विकसित हुआ।
  7. फाह्यान कौन थे? वे नालंदा कब आए थे?
    उत्तर:

    फाह्यान एक चीनी बौद्ध यात्री थे। वे चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समय, यानी चौथी शताब्दी के अंत में नालंदा आए थे।
  8. हर्षवर्धन के समय में कौन चीनी यात्री भारत आया था, उस समय नालंदा की दशा क्या थी?
    उत्तर:

    ह्वेनसांग (युवानचांग) हर्षवर्धन के समय भारत आया था। उस समय नालंदा विश्ववि‌द्यालय की दशा बहुत अच्छी और समृद्ध थी।
  9. नालंदा के नामकरण के बारे में किस चीनी यात्री ने किस ग्रंथ के आधार पर क्या बताया है?
    उत्तर:

    ह्वेनसांग ने ‘धर्मकिंचित’ ग्रंथ के आधार पर बताया है कि नालंदा का नामकरण नाल और दा (ज्ञान देने वाला) शब्दों से मिलकर हुआ है।
  10. नालंदा विश्ववि‌द्यालय का जन्म कैसे हुआ?
    उत्तर:
    नालंदा विश्वविद्यालय का जन्म सम्राट कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल में हुआ। उन्होंने वहाँ मठों और मंदिरों का निर्माण करवाया जिससे यह एक बड़ा वि‌द्यापीठ बन गया।
  11. यशोवर्मन के शिलालेख में वर्णित नालंदा का अपने शब्दों में चित्रण कीजिए।
    उत्तर:

    यशोवर्मन के शिलालेख में नालंदा को ज्ञान की राजधानी कहा गया है। वहाँ की भाषा, वास्तुकला, और विद्या की प्रशंसा की गई है।
  12. इत्सिंग कौन था? उसने नालंदा के बारे में क्या बताया है?
    उत्तर
    :
    इत्सिंग एक चीनी बौद्ध यात्री था। उसने लिखा है कि नालंदा में शिक्षा की उच्च व्यवस्था थी और वहाँ अच्छे शिक्षक और पुस्तकालय थे।
  13. विदेशों के साथ नालंदा विश्ववि‌द्यालय के संबंध का कोई एक उदाहरण दीजिए।
    उत्तर:

    चीन, कोरिया और तिब्बत जैसे देशों के विद्यार्थी नालंदा में पढ़ने आते थे। यह इसका प्रमाण है कि विदेशों से नालंदा का संपर्क था।
  14. नालंदा में किन पाँच विषयों की शिक्षा अनिवार्य थी??
    उत्तर:

    नालंदा में ये पाँच विषय अनिवार्य थेः
    • व्याकरण
    • तर्कशास्त्र
    • ध्यान
    • चचककत्स
    • बौद्ध धम
  15. नालंदा के कुछ प्रसिद्ध विद्वानों की सूची बनाइए।
    उत्तर:

    नालंदा के प्रसिद्ध विद्वान थेः
  • नागाजुन
  • धर्मपाल
  • धमषपाल
  • राहुल श्रीभद्र
  • शीलभद्र
  • बोधिसत्व
  • दीपनकर

17.शीलभद्र से युवानचांग (ह्वेनसांग) की क्या बातचीत हुई?
उत्तर:

शीलभद्र ने ह्वेनसांग से कहा कि वह अब वृद्ध और बीमार हैं, फिर भी उन्होंने ह्वेनसांग को शिक्षा देने का वचन दिया।
इससे उनकी विद्या और समर्पण की भावना पता चलती है।

18.विदेशों में ज्ञान-प्रसार के क्षेत्र में नालंदा के वि‌द्वानों के प्रयासों के विवरण दीजिए।
उत्तर:

नालंदा के विद्वान चीन, तिब्बत, श्रीलंका आदि देशों में जाकर बौद्ध धर्म और अन्य ज्ञान का प्रचार करते थे। वे वहाँ ग्रंथों का अनुवाद भी करते थे।

19.ज्ञानदान की विशेषता क्या है?
उत्तर:

ज्ञानदान सबसे श्रेष्ठ दान माना गया है, क्योंकि यह दान कभी खत्म नहीं होता और इससे समाज और देश दोनों का भला होता है।



पाठ के आस-पास

  1. कला, शिल्प, साहित्य, धर्म, दर्शन और ज्ञान का एक बड़ा केंद्र नालंदा में हम पुनः स्थापित करें।”
    प्रथम राष्ट्रपति की इस इच्छा को आज किस रूप में पूरा करने की कोशिश की जा रही है?
    उत्तर:

    प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की इस इच्छा को आज नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण और नालंदा विश्ववि‌द्यालय के ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र की स्थापना के रूप में पूरा किया जा रहा है। नालंदा में अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि यहाँ पुनः शिक्षा, ज्ञान और संस्कृति का बड़ा केंद्र बने।
  1. बिहार के मानचित्र में नालंदा का स्थान निर्धारित कीजिए एवं उसकी चौह‌द्दी स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर:

    नालंदा बिहार राज्य के मध्य में स्थित है। यह पटना जिले से लगभग 95 किलोमीटर दक्षिण में है। नालंदा की चौह‌द्दी में राजगीर, बिहार शरीफ, और बोधगया जैसे प्रमुख स्थान आते हैं। यह स्थान मगध क्षेत्र के ऐतिहासिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है।
  2. नालंदा के पास आज कौन-सा शहर है? उसका क्या ऐतिहासिक महत्त्व है?
    उत्तर:

    नालंदा के पास राजगीर शहर है।
    राजगीर का ऐतिहासिक महत्त्व बुद्ध और महावीर के समय से जुड़ा हुआ है। यह स्थल बौद्ध धर्म और जैन धर्म के
    प्रचार का केंद्र रहा है।
    यहाँ पर महात्मा बुद्ध ने ध्यान किया और कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं।
  3. पाठ में आनेवाले ऐतिहासिक तथ्यों, नामों और स्थानों का दो-दो वाक्यों में परिचय दीजिए।
    उत्तर:

    नालंदा विश्वविद्यालय – यह प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था, जो विश्वभर में शिक्षा के लिए जाना जाता था।
    महावीर – महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थकर थे, जिन्होंने जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया।
    बुद्ध – भगवान बुद्ध ने नालंदा के पास ही बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया और बौद्ध धर्म की नींव रखी।
    फाह्यान – फाह्यान एक चीनी बौद्ध यात्री था, जो नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा लेने आया था।
    राजगीर – यह नालंदा के पास स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो बौद्ध और और जैन धर्म के लिए महत्वपूर्ण स्थल है।
  4. नालंदा और रािगीर के ऐततहाशसक महत्त्व के बारे में अपने शिक्षक से चचाव कीजिए और एक लेख तैयार
    कीजिए।
    उत्तर:

    लेखः नालंदा और राजगीर का ऐतिहासिक महत्त्व
    नालंदा और राजगीर दोनों ही बिहार राज्य के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं। नालंदा विश्वविद्यालय एक प्राचीन ज्ञान केंद्र था, जहाँ से लाखों विद्यार्थियों ने शिक्षा प्राप्त की। नालंदा में बौद्ध धर्म के महान आचार्य रहे, और यहाँ के पुस्तकालय का विश्वभर में नाम था।
    राजगीर, जो नालंदा से पास स्थित है, बौद्ध और जैन धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ महात्मा बुद्ध ने कई उपदेश दिए थे, और महावीर ने भी अपना जीवन व्यतीत किया।
    इन दोनों स्थानों का समृद्ध इतिहास न केवल भारत के लिए, बल्कि विश्व के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनकी शांति और धार्मिक महत्ता के कारण ये आज भी पर्यटकों और विद्वानों का ध्यान आकर्षित करते हैं।

भाषा की बात

  1. ‘सुरभित पुष्प’ विशेष्य विशेषण युक्त पद है, नीचे कुछ विशेष्य दिए जा रहे हैं। इन्हें उपयुक्त विशेषणों से जोड़िए।
    उत्तर:
    • पृथ्वी – उपजाऊ पृथ्वी
    • आकाश – नीला आकाश
    • शिखर – ऊँचा शिखर
    • पर्वत – विशाल पर्वत
    • वन घना वन
    • नदी – बहती नदी
    • नगर – आबाद नगर
    • वृक्ष – हरा वृक्ष
  2. ‘चैतन्यके न्द्र’ में कौन-सा समास है? ववग्रह करके बताएुँ।
    उत्तर:

    समास – द्वंद्व समास
    विग्रह- चैतन्य + के न्द्र = चैतन्य के के न्द्र
  3. ‘अनुश्रुति’ शब्द में ‘अनु’ उपसर्ग है। इस उपसर्ग से पाँच शब्द बनाइए।
    उत्तर:
    • अनुिासन
    • अनुकरण
    • अनुवाद
    • अनुज्ञा
    • अनुग्रह
  4. निम्नांकित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए।
    • अभ्युदय – अभि + उदय
    • उज्ज्वल – उज्ज + बल
    • उन्नति – उन्न + ती
    • यिोवमवन – यि + वमवन
    • अंतरराष्ट्रीय – अंतर + राष्ट्रीय
    • शयनासन – शयन + आसन
    • हितार्थ – हित + अर्थ
    • सदाशा – सद + आ + शा
  5. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द दीजिए।
    • मेघों को छूनेवाला – घनश्याम
    • जैसा दूसरा न हो – अनूठा
    • आगे-आगे चलनेवाला -पुरोधा
    • जिसकी कोई सीमा नहीं हो – अनंत
    • जो खजाना कभी समाप्त न हो – निधि
    • जिसकी मति स्थिर हो चुकी हो – निश्चल
  6. विपरीतार्थक शब्द लिखें।
    • आकाश – पृथ्वी
    • सच्चाई – झूठ
    • विदेश-देश
    • आरंभ – समाप्ति
    • प्राचीनता – आधुनिकता
    • लुप्त – प्रकट
    • विस्तृत – संकीर्ण
    • तृप्ति-अतृप्ति

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